एक डोर में सबको बांधती

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एक डोर में सबको बांधती एक डोर में सबको बांधती प्रेम रस सदा ही छानती सबको ही अपना मानती भेद भाव नहीं मैं जानती। जो भी मिला अपना लिया सबको गले ...

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